एडीबी के विरुद्ध जनमंच
प्रेस विज्ञप्ति: मई 8, 2017
भारत भर में लोगों ने एकजुट होकर एडीबी और अन्य आईएफआई की जनविरोधी नीतियों का विरोध किया
कश्मीर से लेकर केरल, और गुजरात तक अरुणाचल प्रदेश तक हुए विरोध प्रदर्शन
नई दिल्ली: भारत के 21 राज्यों में फैले 140 से अधिक स्थानों में सैकड़ों लोगों ने 1-7 मई के सप्ताह में एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) की नीतियों और परियोजनाओं के खिलाफ विरोध किया था। ये विरोध प्रदर्शन एडीबी के 50 वें वर्ष के जापान के योकोहामा शहर में हुए आधिकारिक समारोह के समानांतर आयोजित किये गए थे।
जल विद्युत परियोजनाओं, स्मार्ट शहरों, औद्योगिक गलियारों, तटीय क्षेत्रों, कृषि और बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में एडीबी के ऋण के नकारात्मक प्रभावों को उजागर करते हुए लोगों ने इस तरह की परियोजनाओं, जिनमे से कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के साथ सह-वित्तपोषित है, के खिलाफ लड़ने का अपना दृढ़ संकल्प दोहराया।
“पिछले सप्ताह देशभर में हुए विरोध प्रदर्शन एडीबी और अन्य आईएफआई की उन परियोजनाओं और नीतियों के खिलाफ है, जो की लोगों को विकास के नाम पर विस्थापित करते हैं और लोगों की आजीविका को नष्ट करके उन्हें असमानता और निराशा में धकेलते हैं,” नर्मदा बचाओ आंदोलन की वरिष्ठ कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा। उन्होंने आगे जोड़ा, “ये विरोध-प्रदर्शन जनता को उन परियोजनाओं के खिलाफ पुनर्जाग्रत कर रहे हैं जो की अपनी गलत नीतियों के कारण लोगों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। ये प्रदर्शन आईएफआई से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करने वाले संघर्षों को और मजबूत करेंगे।”
सप्ताहभर आयोजित विरोध के कार्यक्रमों में ट्रेड यूनियन, सामाजिक संगठनों, और जनांदलोनों के द्वारा मानव श्रंखला, विरोध प्रदर्शन, सार्वजनिक बैठकों से लेकर व्याख्यान तक आयोजित किये गए थे। उनमें से संगठन राष्ट्रीय हॉकर्स फेडरेशन; नेशनल फिशवर्कर्स फेडरेशन, जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय; नर्मदा बचाओ आंदोलन; भारतीय सोशल एक्शन फोरम; खान, खनिज और जनता; ऑल इंडिया फोरम ऑफ फारेस्ट मूवमेंट्स; झारखंड खान और क्षेत्र समन्वय समिति; नाडी घाटी मोर्चा- छत्तीसगढ़; माछीमार अधिकारी संघर्ष संगठन – गुजरात; उत्तर-पूर्व पीपुल्स एलायंस; तेरा देसा महिला वेदी, केरल, इत्यादि शामिल हैं। संगठनों की पूरी सूची https://wgonifis.net/about-us पर उपलब्ध है।
देश भर में आयोजित विविध विरोध प्रदर्शनों के पीछे का तर्क समझाते हुए, राष्ट्रीय हॉकर फेडरेशन के महासचिव शक्तिमान घोष कहते हैं, “हम एडीबी और अन्य आईएफआई के खिलाफ हैं क्योंकि हमने देखा है कि उनके निवेश के कारण भारी विस्थापन के अलावा लाखों लोगों को नौकरी से निकाला गया हैं, ऐसा विशेषकर शहरी क्षेत्रों में हुआ है जहाँ शहरी विकास, बुनियादी ढांचे और शहरी सौंदर्यीकरण के नाम पर हुए निवेश ने शहरी गरीबों पर काफी नकारात्मक प्रभाव डाला है।”
जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की राष्ट्रीय संगठनकर्ता मीरा संघमित्रा कहती हैं “एडीबी का उधार, जो की सतही तौर पर हितकारी दिखता है, बड़े पैमाने पर ग्रामीण संकट, प्रवासन, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और विस्थापन से अलगाव की स्थिति पैदा करता है।” वो विशाखापत्तनम-चेन्नई औद्योगिक गलियारे परियोजना, जो की एडीबी से वित्त प्राप्त है, का उदहारण देते हुए आगे कहती हैं, “इससे हजारों मछुआरे विस्थापित होंगे और पर्यावरण के लिए अपरिवर्तनीय क्षति होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी कहर ढा देने वाली परियोजनाओं का विरोध करने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं हैं।”
सप्ताहभर चले विरोध-प्रदर्शों में भाग़ लेने वाले संगठनों ने न केवल एडीबी के निवेश के बारे में सवाल उठाये, बल्कि विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी), जापान बैंक ऑफ इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन (जेबीआईसी), एशिया इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक, न्यू डेवलपमेंट बैंक, एक्सीइम बैंक ऑफ कोरिया, अमेरिका, चाइना जैसे अन्य आईएफआई के निवेश के बारे में भी चिंताएं ज़ाहिर कीं। इनमे से कई बैक एडीबी के साथ सह-वित्तपोषक हैं और उन्होंने तेजी से बुनियादी ढांचे और सीमावर्ती परियोजनाओं में भारी निवेश किया है,जिससे लोगों और पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है। ऐसा करने के लिए इन बैंकों की निवेश की वजह से नुकसान से रक्षा करने वाली नीतियों को अपारदर्शी बनाया गया है।
कार्यक्रमो और स्थानो की विस्तृत जानकारी: https://wgonifis.net/places-of-action/
एडीबी को दिए गए विडियो सन्देश: https://wgonifis.net/videos/
कार्यक्रमों की तस्वीरों: https://wgonifis.net/photos/
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